Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

शब्दों के चित्र

 

01.
शब्द हैं मित्र
लहरों के छंद में
उकेरे चित्र ।
-----0-----
02.
शब्दों की पीड़ा
कुलबुलाने लगीं
किताबें मेरी ।
-----0-----
03.
रहा सतत्
आदमी पहचानना
दुर्गम पथ ।
-----0-----
04.
सबसे बड़े
हौंसले हैं किनारे
वक्त सहारे ।
-----0-----
05.
घायल पाखी
उड़ न सकी नभ
पीर सतायी ।
-----0-----
06.
लगी जो आग
जलता रहा दिल
हुई जलन ।
-----0-----
07.
चोट पहुँची
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।
----00----
-प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ