प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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साहसी दीप
01.
साहसी दीप
लड़े अंधकार से
पर आदमी ।
02.
दीप से मिला
प्रेम की पराकाष्ठा
जले पतंगा ।
03.
दीप जो जला
अज्ञान का अंधेरा
भाग निकला ।
04.
दीपक जला
पर वह तो स्वयं
तम में पला ।
05.
बत्ती जलती
मोम सह न सका
पिघल पड़ा ।
06.
दीप जलता
हृदय में उसके
प्रेम पलता ।
07.
बेटी है बाती
वो स्वयं को जलाती
उजास लाती ।
08.
दीप निर्मम
प्रेम करने वाले
जले पतंग ।
09.
छोटा दीपक
तिमिर हरण का
बने द्योतक ।
10.
दीपक जला
रोशन कर चला
जग समूचा ।
11.
अंधेरी रात
एक दीप बता दे
उसे औकात ।
12.
राह दिखाता
हथेली में सूरज
बन के दीया ।
13.
दीया तो नहीं
सदियों से जलते
तेल व बाती ।
14.
राह दिखाता
जगमग करता
नन्हां सा दीया ।
15.
दीप जलाती
तुलसी चौंरे में माँ
खुशियाँ लाती ।
16.
दीप से दीप
मिल कर मनाते
खुशी का पर्व ।
17.
ज्योत से ज्योत
जलता जला दीया
बनी मालिका ।
18.
दीप निर्मम
मिलन के बहाने
जले पतंग ।
19.
दीया व बाती
अंधेरे से लड़ने
बनते साथी ।
20.
दीप जलते
रोशन कर जाते
मन हमारे ।
21.
प्रीत पुरानी
दीया और बाती की
कथा कहानी ।
22.
निशा घनेरी
पर दीपक की लौ
चीर डालती ।
23.
दीप सम्मुख
थकी हारी व झुकी
नीविड़ निशा ।
24.
शब्दों के दीप
सुर की बातियों से
बने संगीत ।
25.
जलता रहा
रात भर दीपक
सिसक रहा ।
26.
घना अंधेरा
दीप जलता रहा
मन अकेला ।
27.
मोम न बनो
पिघल ही जाओगे
इस "दीप" से ।
28.
जल दीपक
अज्ञानता चीरते
बुझना मत ।
29.
बूढ़ा दीपक
रात भर जागता
दिन में सोया ।
30.
कहता दीप
आनंद है अमृत
वेदना विष ।
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