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स्वप्नों के पंख

 

 

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-प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

01.
स्वप्नों के पंख
चाह छूने की पर
क्षितिज दूर ।
0
02.
संध्या अधर
दोपहरी के गीत
दुःख के मीत ।
0
03.
खिली मुस्काई
आए पवन चूमे
जूही लजाई ।
0
04.
मन पंछी रे !
मैं तो बस् तिनका
प्रकृति नीड़ ।
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05.
माँ की गोद में
भूलता अग जग
शिशु सूरज ।
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06.
पत्ते टूटते
गुन गुनाते चले
गीत विदा के ।
0
07.
मन अंकुर
प्राण तरु में प्रिय
शाश्वत फूल ।
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