Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शिला/पाषाण/पत्थर/पाहन

 

 

01.
आस्था की शिला
शालिग्राम बनती
धन्य गंडकी ।
☆☆☆
02.
पाँव की धूल
प्राप्त कर पाषाण
पा जाता प्राण ।
☆☆☆
03.
काश वो रोते
इंसान व पत्थर
भेद मिटते ।
☆☆☆
04.
आस्था महान
पत्थर में बसते
प्रभु श्रीराम ।
☆☆☆

 

 


● प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

 

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