01. तेरी छुवन
मन बगर गया
मानो बसन्त ।
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02. हवा बहकी
सुमनों को छू कर
महका गयी ।
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03. मोम का तन
बत्ती की छुवन से
हुआ गलन ।
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04. माटी का लौंदा
कुम्हार का स्पर्श रे
कलश पक्का ।
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05. वाह. इन्सान
धरा से उठ कर
छू लिया चाँद ।
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□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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