Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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स्वाद/रसना

 


मधु वचन
तोष लेता सभी को
बने स्वजन ।
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02.
कटु न बोल
पनप जाते द्वेष
मधु तू घोल ।
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03.
प्यासा भटका
जल खारा ही रहा
सिन्धु बेचारा ।
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04.
यही सच्चाई
नीम रहेगा कड़ु
स्वीकारो भाई ।
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05.
स्वाद कसैला
होती बड़ी औषधि
कहे त्रिफला ।
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प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

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