Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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28 नक्षत्रों पर हाइकु

 

☆☆☆☆☆☆

01. सूर्य की पत्नी
साहस व शौर्य की
माता अश्विनी ।
00
02. यम का व्रत
ये भरणी नक्षत्र
पृथ्वी धारक ।
00
03. किचपिचिया
षट तारा कृत्तिका
चंद्र की प्रिया ।
00
04. मध्य प्रदेश
रोहिणी का संकेत
चंद्राभिषेक ।
00
05. प्राण संदिग्ध
नक्षत्र का आकार
मृग का शीष ।
00
06. नभ की आद्रा
मानो अश्रु की बूँद
चमके हीरा ।
00
07. ईष्ट अदिति
पुनर्वसु के देव
हैं वृहस्पति ।
00
08. पुष्प से पुष्य
चन्द्रमा करे वास
पूनम पौष्य ।
00
09. सुप्त अश्लेषा
अधिपति हैं नाग
पूज्य देवता ।
00
10. वल प्रदाता
सत्ता, शक्ति से जुड़ा
नक्षत्र मघा ।
00
11. लेती लालिमा
पूर्वा फाल्गुनी प्रेम
असल जामा ।
00
12. ये आर्यमान
उत्तरा फाल्गुनी की
मित्रता शान ।
00
13. रवि व चंद्र
हस्त पर विराजें
बनाएँ दृढ़ ।
00
14. नक्षत्र चित्रा
शिल्प और सौंदर्य
रहस्य कला ।
00
15. सिन्धु में सीपी
स्वाति बिन्दू की आशा
रहती प्यासी ।
00
16. अग्नि व इंद्र
विशाखा नक्षत्र के
दिशा संयंत्र ।
00
17. पद्म पुष्प सा
सरस्वती ध्यायिका
ये अनुराधा ।
00
18. सात्विक ज्येष्ठा
प्राण वायु सुरक्षा
धूप व वर्षा ।
00
19. केन्द्र ही मूल
जड़ों को पहचानें
यही उसूल ।
00
20. अपः पूजिता
अजेय पूर्वाषाढ़ा
नक्षत्र सीता ।
00
21. सूर्य की प्रिया
तारा गज दन्त सा
उत्तराषाढ़ा ।
00
22. तारा श्रवण
जग मापे त्रिपग
प्रभु वामन ।
00
23. ध्रुव सरीखा
दिलाती है धनिष्ठा
मान प्रतिष्ठा ।
00
24. राहू की दशा
नक्षत्र शतभिषा
शनि की पीड़ा ।
00
25. आद्य सुंदर
पूर्वा भाद्र का पद
अजिकपद ।
00
26. आकाश तत्व
उत्तर भाद्रपद
मृतक सर्प ।
00
27. रेवती स्वामी
वणिक ग्रह बुध
बुद्धि दायक ।
00
28. पूर्वाषाढ़ा में ही
अस्तित्व समाहित
ये अभिजित ।
000
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

 

 

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