उद्यमिता साहित्य उद्यमी को विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित करता है :
(१) सामाजिक उद्यमी
एक सामाजिक उद्यमी मदद करने के लिए सामाजिक पर्यावरण,शिक्षा और आर्थिक स्थितियों को परिवर्तित करने की इच्छा से प्रेरित होता है|प्रभाविक सामाजिक उद्यमियों के मुख्या लक्षण एवं स्वरुप समाज को यथास्थिति में स्वीकार न करने की महत्वाकांक्षा है |
सामाजिक उद्यमी भावुक प्रवृत्ति से प्रेरित होते हैं एवं स्वयं के कार्य द्वारा दुनिया में सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन लाना चाहते हैं |वे वैश्विक समस्या के हल के लिए सामाजिक समाधान ढूंढने का प्रयास करते हैं न क़ि लाभ कमाने की कमाना करते हैं|
उनकी की कार्य शैली को अन्य के द्वारा अपनाया जा सकता है |वह समाज में पेश की गई वस्तुओं एवं सेवाओं के सुधार के माध्यम से सामाजिक मूल्य में परिवर्तन लाना चाहते हैं |अच्छी वस्तुओं ,सेवाओं,आदि के माध्यम से समाज में उन्नति लाने का प्रयास गैरलाभ योजनाओं के माध्यम से लाया जा सकता है |
(२) क्रमिक उद्यमी
क्रमिक उद्यमी सदा नए विचारों के साथ आता है और नया कारोबार प्रारंभ करता है | समाचार माध्यमों ने क्रमिक उद्यमियों को जोखिम, नवाचार और उच्च प्रवृति की उपलब्धि की भावना रखने के रूप में प्रतिष्ठित किया है |क्रमिक उद्यमियों के अन्दर अधिक उद्यमशीलता एवं बरम्बारिक सफलताओं एवं अधिक अनुभवों की संभावनाएं होती हैं |वे अधिक जोखिम लेने एवं व्यापारिक असफलता से उभरने की संभावनाएं रखते हैं |
(३) जीवन शैली उद्यमी
जीवन शैली उद्यमी लाभ से पहले मनोभावों को प्रधानता देता है ताकि पैसा कमाने के साथ- साथ निजी हित एवं प्रतिभा का गठबंधन स्थापित किया जा सके | बहुत सारे उद्यमी प्रधान रूप से वयापार को लाभदायक बनाने की भावना (जैसे की शेयर धारकों को पैसा देना आदि ) से प्रेरित हो सकते हैं तथापि ,
जीवन शैली उद्यमी जानबूझ कर एक व्यापार प्रतिमान को विकसित करने तथा अपने व्यापार को अधिक समयावधि तक लाभदायक तरीके से स्थापित करने के लिए उस क्षेत्र का चुनाव करता है जहाँ उसकी स्वयं की भावना रूचि योग्यता ज्ञान एवं विशेषता जुडी हों |
एक जीवन शैली उद्यमी,उद्यमी बनने की कामना इसलिए करता है ताकि उसे अधिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता,परिवार के लिए अधिक समय,तथा उन परियोजनाओं पर अधिक समय तक कार्य कर सकने का समय मिल सके जिससे उन्हें प्रेरणा मिलती है |
जीवन शैली उद्यमी अपने पेशे के साथ शौक को भी साथ रख लेता है ताकि व्यपार का विस्तार नहीं बल्कि स्वयं उद्यम के नियंत्रण में हो |उनका लक्ष्य होता है स्वरोजगार,कुछ ऐसा करें जिससे उन्हें प्रेरणा मिले संतुलित जीवन हो तथा बिना शेयर धारक के स्वयं व्यवसाय कर सकें| ऐसे उद्यमी अपने व्यवसाय के लिए समर्पित होते हैं तथा रचनात्मक उद्योंगो एवं पर्यटन उद्योग आदि के अन्दर कार्य कर सकते हैं |
(४)सिद्धांत आधारित वर्गीकरण
हाल ही के उद्यमिता अनुसन्धान के क्रिया कलापों से संकेत मिलता है की उद्यमियों और उनके व्यव्हार में विजयातियता में मतभेद उनके संस्थापक की पहचान से लगाया जा सकता है |
उपरोक्त लेख का सार है की किसी भी उद्यम को प्रारंभ करने से पहले हमें स्वयं के स्वभाव से परिचित हो जाना चाहिए
इति
प्रदीप मेहरोत्रा
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY