आज का विषय मेरी चाहतों के अनुरूप है
क्यों की वही मेरे लेख और प्रबंध का स्वरुप है
क्यों की यह लेख आपकी संवेदनाओं को जगायेगा
इसीलिए आपको मेरी भावन|ओं के अनुरूप पायेगा
आइये समय का भरपूर दोहन करते हैं
आपसी विचारों का सुअवसर अद्धयन करते हैं
स्वयं का व्यापार दूसरों को व्यापारी बनाये यही उद्देश है
हम समाज को प्रगतिशील बनाये यही सन्देश है
प्रगतिशील समाज ही सबको भाता है
उसी के अनुरूप हमारा स्वयं से नाता है
अगर गरीबी है ज्यादा तो अमीरी का क्या काम है
पैसा देकर काम कराना यही तो उसका नाम है
परन्तु हम काम कहाँ से लाएंगे
इसीलिए तो अमीरों को व्यापारी बनाएँगे
इसी व्यापार से गरीबों को काम मिलेगा
और वो भी अमीर हो जाएँगे
तदुपरांत इस नए अमीर को व्यापारी बनायेंगे
उसी से ज्यादा गरीब को काम दिलाएंगे
अच्छी से अच्छी पढाई काम नहीं आती है
अगर वो इन्सान को अच्छा नहीं बनाती है
अच्छा व्यक्तित्व नौकरी से ज्यादा व्यापार से आता है
क्यों की वह एक व्यापारी को आत्मविश्वासी बनाता है
आत्मविश्वास से आत्मसंतोष मिलता है
स्वयं से ही रुठापन कम होता है
ईश्वर तो सब ही के पास है
उसीसे रूठना क्या अच्छी बात है
ईश्वर से रूठना दुखदाई होता है
स्वयं को दुखदाई करना कष्ट दाई होता है
विश्वास से समझिये मेरी बात
globalisation के परिपेक्ष मैं
newenterprise का होगा एक बड़ा हाथ
भारत बुलाता multi नेशनल को करने को व्यापार
इससे बड़े जन सैलाब की हो जाएगी हार
बहुत वर्षों के अनुभवों ने हमको यही सिखाया है
छोटों को बड़ा करने मैं हमने मौका नहीं गंवाया है
बहुत पढाई की ही बात नहीं है खास व्यापार मैं
स्वयं पर विश्वास और कढ़ी मेहनत यही यही दिखती व्यव्हार मैं
ज्ञान का प्रकाश ही कल्पना द्रष्टियों को खोलता है
और वास्तविक उपलब्धता आत्मविश्वास से तौलता है
क्यों नहीं आत्मविश्वास का लक्ष्य बनाएँ
छोटा कार्य प्रारंभ कर बड़ा व्यवसाए पाएं
समय की कमी तो हम सभी को खलती है
वही तो इन्सान को उसी के अनुरूप तलती है
आइये समय बचाएं
सब छोटों को बढ़प्पन दिखाएँ
स्वयं के व्यापार का चयन सरकारी नीति रूप करना है
और कार्यों का परिणाम प्रयासों से ही पड़ना है
कृपया स्वयं का रूप बदलिए
GLOBLIJATION के परिपेक्ष्य में
स्वयं को नए रूप में ढालिए
नई होती प्रबंधन नीति नए कार्य तो लाएगी
पर नई तकनीकि की शान बेरोजगारी को भी पाएगी
क्या आप नई तकनीकि चाहते हैं
तो क्यों नहीं स्वयं को उसी के अनुरूप पाते हैं
कार्य कठिन है पर प्रारंभ तो कीजिये
प्रयास अधिक हो तो परिणाम भी लीजिये
कम्पुटरी कार्य शैली समय तो कमाती है
परन्तु बेरोजगारी भी बढाती है
होते बेरोजगारों को स्वयं की राह पाना है
परन्तु समय अब कम है इसलिए जल्दी ही जाना है
व्यापार के लिए शाखाएं अनंत हैं
कार्य प्रारंभ तो कीजिये परिणाम तुरंत हैं
परन्तु कार्यानुसार स्वयं में परिवर्तन लाना होगा
स्वयं की कमजोरियों पर विजय को पाना होगा
स्वयं को कार्यानुसार समय पद्धति में ढलना है
दूसरों की चाहतों को पूरा करने हेतु पलना है
अगर नहीं ढल पाए तो कुछ नहीं कर पाएँगे
बिना कुछ सीखे सिखाए निरुद्देश्य ही रह जाएँगे
करना और कराने का नियम प्रकृति है
उसी के अनुरूप ढलना यही जीवन प्रवृत्ति है
व्यापारी की भी यही तो शान है
करना और कराना यही तो काम है
स्वयं कुछ व्यापार करके कमाइए
मुझे विश्वास है इसी में भलाई है
वर्तमान समय में रोजगार मत तलाशिये
व्यापार को आपके स्वरुप चलाइए
समयानुसार स्वयं को अभिमानी पाएँगे
जो कुछ किया है उसी रूपानुसार जाएँगे
व्यापार करना नहीं है सरल
परन्तु जब किया तो पियो गरल
व्यापार में समय से परिणाम मालूम नहीं है
परन्तु सही है कर्म तो आपका नामी नहीं है
स्वयं से व्यापार करते हुए दूसरों से कराइए
कुछ कमाते हुए कुछ और कमाइए
उद्यमी को बनाने में अनुभव साथ निभाता है
व्यापार करा सकने की क्षमता उनके मन मैं लाता है
एक लाख व्यापारी अगर कुछ माह मैं बन जाएँगे
तो मानिये इस जगत मैं हम बहुत बढाई पाएँगे
पर ये सब करने के लिए मन मैं कर्म भावना लाना है
लक्ष्य निर्धाण कर पाने की क्षमता उसमें पाना है
लक्ष्य निर्धाण कर पाने की लालसा मन मैं लाएंगे
तभी इस कठिन प्रोजेक्ट को पूर्ण कर सकना पाएँगे
दूसरों से से व्यापार करा के हम भी बहुत बड़े हो जाएँगे
सबसे पैसा पाकर उनकी नैया पर लगाएँगे
कैसे करें ये सब काम बहुत बड़ा है प्रश्न
परन्तु कर सकने की क्षमता उत्तर देती तुर्रंत
अपनी लक्ष्य प्राप्ति हेतु NGO खुलवाना है
मानव सेवा का धर्म मर्म स्वयं के अन्दर पाना है
हमारे NGO का रूप नए द्वार तो खोलेगा
नए व्यापारी कार्यों को परिभाषाओं में तोलेगा
ऊपरी सभी शब्द मेरी कल्पना का परिणाम हैं
मेरी बेमांगी सलाह मेरी चाहत की शान हैं
व्यापारी बनाने के लिए हम पूर्वाग्रही हो जाएँगे
तभी ये काम करने की ममता मन के अन्दर पाएँगे
दूसरों की सहायता लेकर कुछ तो बन जाते दिलेर
पर कुछ तो इसके बाद भी नहीं करते मन मैं फेर
दिलेरों को पहले हमें अपने साथ मैं लाना है
और करा व्यापार उनसे उनका विश्वास बढ़ाना है
नए व्यापारी का जीवन अनुभव नयों को साथ मैं लाएगा
क्योंकि यह कर्त्तव्य भावना वह सबके अन्दर पाएगा
दिलेरों को कैसे पहचाने प्रश्न अनुत्तरित हैं
परन्तु अक्ल से जाने तो उत्तर त्वरित हैं
छोटा ही बड़ा होता प्राकर्तिक प्रवृत्ति है
यही दूसरों को जानने की नीति है
प्रश्न और उसके उत्तर हम सब साथ बनाएँगे
और उन्ही प्रश्नों को हम सब नयों के सामने लाएंगे
जो देगा सही उत्तर वही तो क्रमानुसार आ जाएगा
स्वयं का वो लक्ष्य निर्धारण कर हमारा साथ भी पाएगा
व्यापारी को व्यापार से पहले सरस्वती के पास ही जाना है
तभी तो काम के बाद में उसको लक्ष्मी जी को पाना है
सरस्वती देवी भी हमेशा उन्ही के साथ ही जाती है
जिनको यह देवी हमेशा आत्मविश्वासी पाती है
इसीलिए हमारे प्रश्नों में हमें आत्मविश्वास को लाना है
और सही उत्तरों से उनका समाधान भी पाना है
इतने सारे लोग किस चीज का व्यापार कर जाएँगे
इसी एक बड़े प्रश्न का हमसे समाधान वो पाएँगे
इन्टरनेट के माध्यम से हमको बहुत से व्यापारों को लाना है
उन्ही सब व्यापारों का हमको वर्गीकरण कराना है
व्यापारों के समूहों को अलग अलग विषयों में बाटेंगे
तदुपरांत उनको उद्यमिता के अनुकूल ही छाटेंगे
बड़े और मध्यम व्यापारी हमारे पास नहीं आएँगे
सिर्फ छोटे व्यापारियों को हम अपने साथ में पाएँगे
उन्ही के अनुरूप हमें व्यापारों का आधार बनाना है
उन्ही के अनुसार विद्यालयों में उसी का पाठ पढाना है
राजनैतिक कार्यशैली इस काम में रोड़ा लाएगी
क्यों की इसके अन्दर वह स्वयं को सामने पाएगी
हमें इस रोड़े के साथ भी हाथ मिलाना है
और सभी राजनैतिक पार्टीज को साथ में लाना है
परन्तु एक लाख व्यापारी पालना कठिन लक्ष्य हो जाता है
पर अगर लक्ष्य हो तो रास्ता स्वयं ही सामने आता है
क्यों न कुछ सरकारी उपक्रमों को साथ में लायें
उनके साथ ही चलते चलते अपना लक्ष्य भी पाएं
MPCON CEDMAP उपक्रम हमारा साथ भी पाएँगे
क्योंकि इसी कारण वह स्वयं का लक्ष्य भी पाएँगे
इस काम के लिए हमारे हाथ में पैसा होना है
तभी इसे करने की क्षमता स्वयं के अन्दर बोना है
MPCON CEDMAP उपक्रम हमारा साथ निभाएँगे
रूपया पैसा आदि के लिए विभिन्न परामर्श दे जाएँगे
हमें इस कल्पना को अगर साकार कराना है
तो सबसे पहले स्वयं को स्वयं के साथ में पाना है
कुछ पड़े लिखे कर्मचारियों को साथ में लाना है
अनेकों छोटे मध्यम आदि की प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाना है
इन प्रोजेक्ट को उद्यमी उपलब्धता कितने माह में पाएगी
अनेकों प्रश्नों की जानकारी प्रोजेक्ट रिपोर्ट दे जाएगी
सबसे पहले हमें विभिन्न संभागों में जाना है
वहीँ तो पहले पढ़े लिखों को व्यापारी बनवाना है
बहुत संभाग हमें बहुत विद्यालयों में पाएँगे
इसीलिए विद्यालय प्रबंधक फिर हमारा हाथ बटाएँगे
संभागों के बाद हमें जिले स्तर पर जाना है
और सरकारी कार्यालयों से अनेक प्रश्नों को पाना है
सरकारी नीयम आदि बहुत कठिनाई लाते हैं
कर्म भावना पर अनेकों भार चडाते जाते हैं
इस काम की गहरी स्वाट एनालिसिस करना होगी
विदेशी व्यापारी की गहरी आशंका मन में धरना होगी
देशी व्यापारियों को विदेश ले जाएँगे
वहां ले जाकर के उनका व्यापार बढ्वाएंगे
यह सब कार्य प्रारंभ में हमें कठिन प्रतीत है
पर ध्यान कर के किया जाए तो सटीक है
विभिन्न देशों के विभिन्न तेवरों को पड़ना है
तभी क्या व्यापार हो इस निर्णय पै चड़ना है
सर्व प्रथम तो हमें सरस्वती के पास ही जाना है
कार्य करने के उपरांत ही लक्ष्मी जी को आना है
हर कार्य के लिए समय पद्धति को लाना है
इसी पद्धति का विकास स्वयं के अन्दर पाना है
सरस्वती को पाने में समय अभाव खटकता है
फिर लक्ष्मी जी का आगमन शान रूप से जगता है
स्वयं सीखने के बाद ही कुछ और सीखते जाना है
तभी तो लेने देने का नियम भी स्वयं बनाना है
जब सरस्वती को खाली दिमाग ही पाएगा
तभी तो वही दिमाग लक्ष्मी जी को भाएगा
मुझे दृढ विश्वास है आप सभी की सहमती है
स्वयं का नाम कमाने की यह अति उत्तम नीति है
अगर आपके मन के कुछ प्रश्न अनुतरित हैं
विश्वास से ध्यान कीजिये उत्तर त्वरित हैं
MEE की सेवाओं की सबको उपलधता है
सरस्वती के बाद ही लक्ष्मी की प्रति-बद्धता है
स्वयं को एवं रिश्तेदारों को सेवा व्यापार में लाइए
विभिन्न विद्यालयों के छात्र्रों ज्ञान सेवा दे जाइए
जब आपके भाई बंधू सेवा व्यापार में आएँगे
तब स्वयं भी स्वयं भी आत्मविश्वासी बन जाएँगे
हमारे NGO का रूप नए द्वार तो खोलेगा
नए व्यापारी कार्यों को परिभाषाओं में तोलेगा
ऊपरी सभी शब्द मेरी कल्पना का परिणाम हैं
मेरी बेमांगी सलाह मेरी चाहत की शान हैं
मेरा कवित्त लेख मैंने स्वयं बनाया है
क्योंकि मैंने उसमें आप सभी को पाया है
आपका समय ही मेरे विचारों की शान है
मुझे मालूम है उस ही में आपका नाम है
मेरे विचारों से अगर आपकी सहमती होगी
तो मेरे लिए सुअवसर नीति होगी
अन्यथा मेरा लेख होगा व्यर्थ
और आपका पढ़ना होगा निरर्थक
मैंने स्वयं के अनुभवानुसार अपनी बात कही है
मुझे मालूम नहीं आपके अनुभवानुसार कितनी सही है
प्रदीप मेहरोत्रा
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