Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ख़वाब में ही सही मगर तू फिर से जिन्दा हो जाए

 

सोचता हूँ कि मैं भी अपनी आँखें बंद कर लूं
शायद कोई करिश्मा हो जाये
ख़वाब में ही सही मगर तू फिर से जिन्दा हो जाए,
उठाकर बाहों में तुझको,
तेरी करीबीओं को समझ पाऊँ,
तेरी आँखों में डूबकर,
तेरे आंसुओं की गहराई समझ पाऊँ,
बदल दूं लकीरें तेरे हाथों की,
अगर ऐसा कुछ हो जाये,
तेरे अधूरे सपनों की तस्वीर,
मेरे दिल में छप जाये,
ख़वाब में ही सही,
मगर तू फिर से जिन्दा हो जाए..

 

 

-----------Pradeep Singh

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