Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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काश हम भी पंछी होते

 

काश हम भी पंछी होते १
गगन विचरण दिनभर करते १ १

 

भूख प्यास से विशित्प्त न होते १
अपराधों से परे होते १ १

 

रिश्ते नाते तब ना होते१
बंधनो के जकड़न ना होते १ १

 

खुले आँसमा तले हम यूँ ही १
बस अपने मन से उड़ जाते १ १

 

मान अपमान का डर ना होता १
सुख दुःख की परछाई ना होती १ १

 

कल विकल सब आते जाते १
जीवन को हम यू जी जाते १ १


रूठना मनाना ना होता १
परम्परा का बहाना ना होता १ १

 

फिर तो कोई भी हमें १
कैद ना कभी कर पाता १ १

 

 

Pragya sankhala

 

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