तेरे जाने का कोई गिला शिकवा तो नहीं
मगर बगैर तेरे जीना भी मुमकिन तो नहीं
सुकून से जिओ तुम यही तो चाहत थी मेरी
अपने सफ़र का फिक्र तो हमने किया ही नहीं
गुनाह तो है अक्सर राह ए इश्क में चलना
कांटे चुभने का ख्याल जेहन में आया ही नहीं
भूल जाना आसां होगा तुम्हारे लिए लेकिन
भूलने की जहमत हमने कभी किया ही नहीं
ख्वाब तो होते ही हैं अक्सर टूट जाने के लिए
ख्वाबों में तुम्हे देखना अब तलक छोड़ा ही नहीं
पूरी हो तेरी हर ख्वाहिश जीवन के सफ़र में
"निर्भीक " की तमन्ना अब कोई बाकी है ही नहीं
प्रकाश यादव "निर्भीक"
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