आग बस्ती में लगे है तब नज़ारा देखिये।
बात घर की ज्यों हुई त्यों ही तमाशा देखिये।
मौत आगे है खड़ी तू देख ले दरकी जमीं
बस बचा कुछ ही समय है ये इशारा देखिये।
(दरकी= चिटकी)
खून बकरे का बहा कर ठांठ से हँसते रहे
कह रहे पापी मुझी को ये पहाड़ा देखिये ।
कल नुमाइस में मिला था देश मेरा ही खड़ा
चीथड़े पहने हुए नंगा बिचारा देखिये।
वो कहे किस से कहे जो रात भर रोता रहा
डूबते की आँख में भी इक सहारा देखिये।
जो कभी कुछ कर न पाये डींग उनकी ढह गई
होंठ नोचें सर हिलाते बस बहाना देखिये।
अब यहाँ से हो परेशां मैं गया "तेजस" सुनो
जल्द जाकर उफ़ कहीं पर इक मुहाना देखिये।
( मुहाना=छोर, डेल्टा)
©प्रणव मिश्र'तेजस'
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