Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अधिकार सुरक्षित

 

 

अब भी तेरे मुझ पर कुछ अधिकार सुरक्षित हैं
झूठे वादों की लड़ियों के सार सुरक्षित हैं
मैं ही मोहक मुस्कानों में पागल खोया था
अब दिल पर जो हुए कई प्रतिकार सुरक्षित हैं।

 

चंचल चितवन नेह भरे आधार सुरक्षित हैं
अभी तुम्हारे पास मेरे उपहार सुरक्षित हैं
उन तस्वीरों को अब तक सहेज रखा है
जिनमें तुम्हारे सब सोलह श्रृंगार सुरक्षित हैं।

 

तेरी ख़ामोशी के वो व्यापार सुरक्षित हैं
पाती पाती में जो भेजे प्यार सुरक्षित हैं
मेहँदी की खुशबू वाली पुरवा में ही
तेरी रूठन और मेरी मनुहार सुरक्षित हैं

 

मेरे दिल में अभी तेरे आगार सुरक्षित हैं
जो रच डाले थे मिलकर संसार सुरक्षित हैं
अब यदि वापस आने की आशाएं धूमिल हैं
सोच रहा हूँ ये सबकुछ बेकार सुरक्षित है

 

 

प्रणव मिश्र'तेजस'

 

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