Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बदलते लोग अक्सर ही बदलना उनकी फितरत है

 

 

बदलते लोग अक्सर ही बदलना उनकी फितरत है।
कई दरपन में जा करके संवरना उनकी फितरत है।

 

मिलाकर हाँथ हमसे वो हमें सीने लगाते है।
मुहब्बत के इरादे पर मुकरना उनकी फितरत है।

 

सियासत है यहाँ फैली यहां पर सब बदलते है।
नमक ज़ख्मों पे अक्सर ही छिड़कना उनकी फितरत है।

 

गुज़र कर राह से वो बात सारी भूल जाता है।
सभी कुछ जान कर अनजान बनना उनकी फितरत है

 

कहाँ जाएं कहो "तेजस" तुम्हीं बचकर जमाने में
जहां जाऊं वहीं दिल में उतरना उनकी फितरत है।

 

 

 

©प्रणव मिश्र'तेजस'

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ