Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बहुत टूटे बहुत रोये इरादे कह न पाये थे

 

बहुत टूटे बहुत रोये इरादे कह न पाये थे
हमारे दिल के अंगारे कि आँसू बह न पाये थे।

 

हमारी ही सुनो चुप्पी हमे ही तोड़ देती थी,
बसे आँखों के सपने रे कि अब तक ढह न पाये थे।

 

तुम्हारी ही इबादत की सुनो इस दिल ने आखिर तक
कि दिल के इस घरौंदे में वो शिव भी रह न पाये थे।

 

यहाँ के लोग कहते हैं तुम अगले जन्म आओगी
मगर लम्बी जुदाई सुन सुनो हम सह न पाये थे।

 

निकली रश्म की रेखा तुम्हारा नाम लेकर के
सजल नेत्रों कि दीवारों में तुमको गह न पाये थे।

 

 

प्रणव मिश्र'तेजस'

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