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Dr. Srimati Tara Singh
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दर्शन

 

 

दर्शन का सामान्य अर्थ है देखना...क्या देख रहे?जो हम देखना चाह रहे वो देख रहे या दूसरे द्वारा बताया गया देख रहे?
जीवन से दर्शन का गहरा सम्बन्ध है,जीवन जीने की कला भी दर्शन सिखाता।पर दर्शन है क्या???
मेरे विचार से किसी भी कार्य के होने के पीछे का करण जनना ही दर्शन,सत्य का शोध ही दर्शन।कभी मन ये भी कहता की जहाँ विज्ञान समाप्त हो जाती वही से जिस विज्ञान का प्रारम्भ होता उसे दर्शन कहते।
व्यक्ति के चरम लक्ष्य तक ले जाने के लिए जो लाभकारी उसे दर्शन कहते।

 

फिलो-प्रेम,सोफिया-ज्ञान=ज्ञान से प्रेम करना फिलोसोफी ये विदेशों की परिभाषा।पर अपने देश में जीव और परमात्मा का सम्बन्ध बताते,जीव और माया का ,जीव और ब्रह्म का,जबकि ये कुछ दिखते नही और इनका महत्व भी है।
भारतीय दर्शन की प्रकार की अनुभूतियाँ मानी जाती है
1-ऐन्द्रिक
2-अनैन्द्रिक

 

भारतीय दर्शन के अनुसार तत्व का ज्ञान अनुभूति से सम्भव,अद्यात्मिक अनुभूति भौतिक ज्ञान से उच्च है।मतलब हमारी बुद्धि से परे का विज्ञान दर्शन।

 

बौद्धिक ज्ञान में ज्ञाता और ज्ञेय के बीच द्वैत वर्तमान रहता परन्तु अद्यात्मिक ज्ञान में ज्ञाता ज्ञेय में ये भाव नष्ट हो जाता।चूँकि भारतीय दर्शन तत्व के साक्षात्कार में आस्था रखता इसलिए इसे'तत्व दर्शन' कहा जाता है।

 

 

 

 

 

प्रणव मिश्र'तेजस'

 

 

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