Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गोरी का रूप सुहाना लगता है

 

गोरी का रूप सुहाना लगता है
होठ नशे का पैमाना लगता है
आँखों से पीलो मुझे तुम साकी
ज़हर तुम्हारा शर्माना लगता है

 

मुझे सिर्फ प्रेम निभाना आता है
तुझे सर्फ दिल तोडना आता है

 

 

रे तुम्हे कमर लचकाना आता है
कातिल कमर बलखाना आता है
तुम्हारी ठुमुक पर कितने मरे जी?
अब ये दिल भी दीवाना लगता है

 

 

मुझे सिर्फ प्रेम निभाना आता है
तुझे सर्फ दिल तोडना आता है

 

 

अच्छा न रूठ के जाना लगता है
याद में आँसू छलकना लगता है
शराब में मिलाकर पीता तुझको
दगेबाज सारा जमाना लगता है

 

 

मुझे सिर्फ प्रेम निभाना आता है
तुझे सर्फ दिल तोडना आता है

 

 

©प्रणव मिश्र'तेजस'

 

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