Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हो आवा सावन रे

 

 

बातें हुई हैं जोर जोर
बगिया नाचै मोर मोर
हवा चली है पोर पोर
हो आवा सावन रे

 

भौजी मनु आग आग
गावै लगी है राग राग
द्वारे आवा नाग नाग
हो आवा सावन रे

 

मिलै के जी अंग अंग
नाचे हमहूँ संग संग
महकी भैया भंग भंग
हो आवा सावन रे

 

पडिगे झूला डाल डाल
गोरी चलिगै चाल चाल
नैनन फेंके जाल जाल
हो आवा सावन रे

 

कहै हमका जान जान
लैइगै हमारे प्रान प्रान
मैया उमेठिं कान कान
हो आवा सावन रे

 

घूलि भगी है पन पन
हवा चली है फन फन
पानी बरसा झन झन
हो आवा सावन रे

 

सावन में है शोर शोर
शिव भजें है जोर जोर
पिछौरे खड़ा चोर चोर
हो आवा सावन रे

 

हरियाली का है परचम
कहे कँवरिया बम बम बम
बरसे सावन झम झम झम !
मनभाया सावन रे !
हो आया सावन रे !

 

 


---प्रणव मिश्र

 

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