लोग कहते हैं कि कहने दो
आँख के दरिया को बहने दो
अब मिला आँखे हमीं से सुन
शक्ल सीने में उतरने दो
होश में आने कि जल्दी क्यों?
और थोड़ी यूँ गुजरने दो..
बन गया हूँ हूबहू शीशा
मौत से ही अब लिपटने दो
क्यों मरे हम मोहिनी पर ही
भूल को अब बस सुधरने दो
भूलना भी है कठिन तुझको
पर ज़रा कोशिश तो करने दो
उफ़ जहां की उलझने 'तेजस'
प्यार को पन्नों में रहने दो
©प्रणव मिश्र'तेजस'
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