जो बिना लड़े ही जीत गये,
उनको संघर्षों का ज्ञान नही
मंजिल जिनको ख़ैरात मिली
उन्हें सफलता का मान नही
हुये व्यथित पथिक सुनो तुम!!
पथ नियमों की पहचान यही
जो आसानी से मिल जाता है
रे उसमे फिर कोई जान नही
अब तक क्यों तुम शांत रहे
आघातों पर आघात सहे?
मंजिल उनको मिली हमेशा
जिनका पसीना उर्ध्व बहे
रे कुछ किस्मत की बात हुई
सफलता मेहनत टिकी रही
तह पर तह अंधकार तुम्हारा
फिर तुमको धूमिल रेख मिली
हो अविचल बनो पथिक तुम
आँधी तूफान पर अडिग रहो
रे खड़ा हिमालय सीना ताने
उसी तरह की मिसाल बनो
चाहें आये झंझवात अनेकों
अपने बल को मत भूल कभी
भूल चुके यदि बल को अपने
तो चन्द्रमा पर थे गये तुम्ही
© प्रणव मिश्र'तेजस'
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