ज्यों सन्नाटे में गूँज हुई
त्यों पायल खनकी होगी
महानिशा फिर अर्ध रात्रि में
भागी बहकी होगी
उनकी साँसों की सरगम से
धड़कन महकी होगी
जब वो उन्मादित यौवन ले
शोला सी दहकी होगी
महामिलन की रात्रि चांदनी
सुमधुर स्वर चहकी होगी
सोच अरे पगले तेजस क्या
स्थिति हृद की होगी
©तेजस
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