खुद को कहते विद्वान बहुत
बस वही भीड़ का हिस्सा हैं
पल दो पल के सकल विश्व में
हाय भूलता किस्सा है ।
विद्रोही ही आगे आकर
इक नया इतिहास लिखाता है
जितने भी दर्शन के दर्शक
सबको सिद्धान्त सिखाता है
जग भी उनके पीछे चलता है
जो नियम तोड़ के बढ़ता है
जिसने खुद को जान लिया
वह मौन अकेला फिरता है
©तेजस
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY