Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शिव आराधना

 

मेरे भोले मेरे स्वामी तुम्हारा ही सहारा है
यहाँ सब लोग छलते है तुम्हे मैंने पुकारा है।

 

लगा के भस्म अंगो पर चढ़ा के भांग आ जाओ
चलो दौड़े चले आओ कि डरता मन बिचारा है।

 

गले में सांप है लटका बजे हाथो में डमरु डम
जटाओं से बही गंगा कि तरता जग हमारा है।

 

तुम्हारे पास जो आता कभी खाली नही जाता
बड़ी ही आस लेकर के तुम्हे मैंने निहारा है।

 

बनारस के सुनो भोले मेरी आँखे तरसती हैं
जहाँ रहते कि तुम भोले वहीं सुरसरि किनारा है।

 

कहो कैसे बुलाये हम अघोरी को सुनो "तेजस"
अरे शमशान में ही करता जो अपना गुजारा है।

 

 

 

©प्रणव मिश्र'तेजस'

 

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