बहुत रोते है वो फैसला करके,
चले गये थे कभी बहाना करके,
तमाशा बन गये है खुद पर ही,
आदत थी न आना वादा करके,
एक पागल से था रिश्ता उसका,
उसको भी गंवाया तमाशा करके,
Pratap Pagal
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बहुत रोते है वो फैसला करके,
चले गये थे कभी बहाना करके,
तमाशा बन गये है खुद पर ही,
आदत थी न आना वादा करके,
एक पागल से था रिश्ता उसका,
उसको भी गंवाया तमाशा करके,
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