Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कई दिनों तक मेरे घर में आंगन भी रहा है

 

Pratap Pagal

 

 


कई दिनों तक मेरे घर में आंगन भी रहा है.
इस वीराने में मौसम ए सावन भी रहा है.

 

कई आँखे मुझे देखते थकती नही थी कभी,
चेहरे की हिफाज़त में इक आँचल भी रहा है

 

जिसको लोग समझते है महफ़िल ए शान,
ये शख्स कभी ज़माने का पागल भी रहा है

 

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