Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कल रात कोई चांदनी में

 

कल रात कोई चांदनी में, चाँद बनकर छलक गया,
मेरे दिल की जीनों से वो, आहट बनकर उतर गया,

 

कई दिनों का दर्द समेटे, लौट चूका था घर अपने,
जो हादसों से बच गया, वो सुकूं मिला तो मर गया,

 

कई और भी है कहानियाँ, बयान जिसका कर सकूं,
कोई हवाला है नही, मैं कहकर जिसे मुकर गया,

 

 

 

Pratap Pagal

 

 

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