Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खो गया है दिल

 

Pratap Pagal

 



लिखवाऊंगा किसी हेड कांस्टेबल के हाथो
चोरी हो गया है सुकून मेरा
रखा था दिल के सिंगारदान में

 

 

मतलब खो गया है दिल
लिखिए रपट उस नाम-चीन पागल पे
कहिये कि लौटा दे वो जो
बंद था लिफाफे में वसीयत की तरह
जिंदगी की सारी जमा पूंजी
गम, आंहे, सूखे अश्क, गर्द में लिपटी एक चादर
और भी था बहोत कुछ उस खंजुले में

 

 

उसके बातो की खुशबु भी जब्त थी कुछ
चुराकर उस से रखा था किसी को बिन बताये

 

 

खड़ा करूंगा कटघरे में उसे
पूछूँगा खुद सवालात में
कितना बिगाड़ तो तुम पहले ही करके गये
अब मु,आफ क्यों नही कर देते मुझे

 

 

चाहो तो जान ले लो एक धक् में
तेरे बगैर जी भी तो नही सकता
मालूम है तू चाहता है अब तक मुझे

 

 

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