Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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...

 

तुमने मुझे पूछा था इक रोज़ कभी...
कि ये खुशबु कंहा से आती है फुलों में...

 

 

मेरे घर के मरुवे के पोधे ने उस दिन से...
अपने पत्तो को और भी हरा कर दिया.....
मैं सोचता हूँ ये कम पानी में भी अच्छा क्यूँ है...

 

 

काश तुम मुझे भी कहदो यूं ही बेख्याली में.....
कि पागल तुम बहुत अच्छे हो...
मुझे यकीन है मेरी जिंदगी संवर जाएगी...

 

 

 

Pratap Pagal

 

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