तहजीब की मिसाल गरीब के घर पर है
दुपट्टा फटा हुआ है पर सर पर है।।
इस अधूरी जवानी का क्या फायदा
बिन कथानक कहानी का क्या फायदा
जिसमे धूलकर नजर भी ना पावन बने
आंख मे ऐसे पानी का क्या फायदा।।
मकतब ए इश्क मे एक ढंग निराला देखा
उसको छुट्टी ना मिली जिसको सबक याद रहा।।
प्यार मे एक सदा का मजा लीजिए
उसमें भी इंतहा का मजा लीजिए
प्यार का व्याकरण आचरण है अलग
प्यार की ना मे हाँ का मजा लीजिए।।
प्रताप राज आर्य
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