Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

देर रात तक अब नींद उतरती नहीं आँखों में ...

 

Pratik Dubey

 

 


देर रात तक अब नींद उतरती नहीं आँखों में ...
कुछ कहती नहीं...बस उलझती रहती हैं साँसों में..
मैं मिन्नतें करता हूँ...तो मुह फेर लेती हैं...
मैं उठ कर कई बार बरामदे में बैठा उसे ढूँढता हूँ...
जब गला सुख जाता हैं पानी की कमी से...
तब जुबान पर गिले ओठ फेरता हुआ मेज पर आ जाता हूँ...
कितना बुलाता हूँ ,लेकिन वो भी जिद्दी कही नज़र नहीं आती नजरो में...
सीढियों से ऊपर छत पर जाकर सितारों सेशिकायत कर देता हूँ उसकी...
वो भी बिलकुल तुम जैसी थी...सताती थी...रुलाती थी...बेहद चंचल थी,कमसिन थी...
लेकिन वो उस रोज नहीं आई...रात भर मैंने इंतजार किया था उसका..तुम्हारी ही तरह..
देर तक देखता रहा अपनी हथेली की लकीरे..क्या इनमे कभी, कही थी वो..या नहीं थी...
खस्ता सी रौशनी में, लड़खड़ाते मैं पंहुचा था घर,,और फिर ढूँढने लगा तुम्हे...
लेकिन आज तक नहीं मिली मुझे...
जाने कहा गूम हैं,देर रात तक नहीं उतरती आँखों में...
कुछ कहती नहीं...बस उलझती रहती हैं साँसों में..

 

 

प्रारब्ध...

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ