Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तीसरा

 

 

प्रतिभा शुक्ला

 

 

जब भी किसी "तीसरे" ने
फैसला करना चाहा
दो लोगों के विवादों का
विवाद बढ़ गए
तीसरे का नजरिया
अपनी भाषा को पुख्ता बनाना था
न कि मामले को सुलझाना।
युग बदल गया जब
दो को बचने के लिए
कोई तीसरा
अपनी खुशियाँ कुर्बान कर देता था
और दोनों के मलाल
धुल जाते।
आज विवाद हैं
तीसरा प्रभावी है
यह तीसरे का नहीं
हमारी नाकामी है।

 

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