Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं चंचल हूँ, मेघों के पार से आया करता हूँ

 

मैं चंचल हूँ , मेघों के पार से आया करता हूँ ।
मै अग्नि हूँ , धरा को भूषित-भष्मित करता हूँ ।
मैं किरण हूँ ,रश्मि रथी केे पथ को आलोकित करता हूँ ।
मैं प्यास बनकर, जीवन को पल-पल तरसाया करता हॅू।
भूख बनकर, जीवन को पल-पल तड़पाया करता हॅू।
मैं सृष्टा हूँ , जीवन की रचना करता हॅू।
मैं काल बनकर, विनास की लीला करता हॅू।
मैं प्रलय हूँ , धरा को जल से आप्लावित करता हॅू।
मैं पथिक भी हूँ , जीवन पथ की राह निहारा करता हूँ ।
मैं रश्मि किरण हूँ , ताप रहित संताप मिटाया करता हॅू।
मैं किरण हूँ ,रश्मि रथी केे पथ को अलोकित करता हूँ ।
ग् ग् ग् ग् ग्

 

 

प्रवीण कुमार

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