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पाप पुण्य की लेखनी ,लिखी कर्म से जाये

 

दोहे


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Praveen Kumar 

11:02 AM (7 hours ago)




to me, shikshakprabha 







पाप पुण्य की लेखनी ,लिखी कर्म से जाये।
ज्ञान भक्ति के योग से, सदा पुण्य फल पाये।

 साथ साथ रहते सदा, सुख-दुख भाव निभाय।
  रक्तदान करते समय ,मन हर्षित हो जाये।

 मानव सोया यदि रहे, लगातार दिन-रात।
 खोता पूंजी राष्ट्र की ,श्री विहीन हो घात।

डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव," प्रेम"। सीतापुर।

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