Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गुरुवर

 

   गुरुवर


पुष्प तुम्हे अर्पण करू,

पूजन करू अर्चन करू।


चरण धूलि मस्तक धरू,

हे मेरे गुरुवर,शत् शत् तुम्हे नमन करू।


गागर में सागर कहलाए,

गुरु बिन किसे ज्ञान आए।


समता,ममता का पाठ पढ़ाए,

शिष्य को अपने सही मार्ग दिखाए।


संत महात्मा यही बताते,

बिन गुरु के ज्ञान चक्षु खुल नहीं पाते।


साक्षी हमेशा से इतिहास रहा,

गुरु चरणों में स्वर्ग मिला।


गुरु कृपा बिन न होते वारे न्यारे,

गुरु ही भाव सागर से पार उतारे।


निरक्षर भी साक्षर हो जाए,

गुरु चरणों में जो शीश झुकाए।


गुरु कृपा जिसको मिल जाए,

लक्ष्य को अपने वह साध जाए।


गुरुवर हमारे अवगुण चित्त न धरना,

हो जाए कोई भूल तो क्षमा करना।


                   -  प्रीति कुमारी



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