Swargvibha
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प्रेमचंद

 

  प्रेमचंद


साहित्य के सरोकार,

जिनकी रचना में,

निर्धन, दलितों, नारी,

के करुण स्वरो की है पुकार,

कहलाते है वह साहित्य सम्राट।


वाराणसी में है जन्म लिया,

नवाब राय नाम से लेखनी है आरम्भ किया,

निम्न वर्गो की आवाज है जो,

अन्याय के खिलाफ है जो।


गोरो से जो न कभी डरे थे,

रचना जब्द होने पर भी,

उन से लड़े थे।

समाज की हर व्यथा कह सुनाई,

देश दुश्मनों पर भी लताड़ लगाई।


क़लम का सिपाही,

क़लम का मज़दूर जो,

अनेकों रूप में सत्य स्वरूप है वो।


साहित्य को नई दिशा दिखाई,

मानवीय संवेदना जन मानस तक पहुंचाई,

जीवन व कला को सच्चाई से उकेरा,

साहित्य को अपनी क़लम से संवारा।


प्रेम की धारा जन जन तक प्रवाहित की,

अन्याय से लड़ने की नई कला जन में समाहित की।


नारी को न्याय दिलाते,

दलितों का सम्मान बढ़ाते,

निर्धनों की करुण कुंठित पुकार सुनाते,

अंधविश्वासों पर है क़लम की बाण चलाते।


न्यायप्रियता,देशभक्ति जिनकी रगो में कल् कल् करती है,

निर्मल, निश्छल, पावन गंगा की तरह बहती चलती है।


ऐसे है हमारे साहित्य सरोकार,

युगों युगों की पुकार,

प्रेमचंद है उनका नाम,

प्रेमचंद है उनका नाम॥


- प्रीति कुमारी

अध्यापिका

                     लुधियाना





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