चक्की तो जल्दी पिसती है
पर एक बात जी को चुभती है
जाता और जतसार का, का
दुई बहीनी के प्यार का, का
शहर का जइसा गाँव मा घर
पकवा घर झंझट का घर
तुलसी भटके डगर-डगर
काट दिया सब बड़ पीपर
जब से सटा है घर में दुआर
खतम हुआ सब लाज ओहार
उ सोंधी माटी का घर
उ खरो पतवार का, का
दुई बहीनी के प्यार का, का
जाता और जतसार का, का
हमरी मेहरी हमरा मरद
बेटा और बेटी का दरद
वाह रे इ छोटा परिवार
तो उ पूरा परिवार का, का
माई के दुलार के का
बाबू के संसार का, का
दुई बहीनी के प्यार का, का
जाता और जतसार का, का
गउ गोबर से चूल्हा लीपना
गोइठा पर वो रोटी सिकना
सोंधी-सोंधी स्वाद कहाँ है
स्वाद में माँ का प्यार कहाँ है
किचन में अब गैस का बम
खूब बने है चिकन दम
इस कमरे में बहुत घुटन है
पंखे में तो खूब पवन है
तो पुरवा पवन बयार का, का
बगिया और बधार का, का
दुई बहीनी के प्यार का, का
जाता और जतसार का, का
प्रेम सागर सिंह
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