क्या ग़ज़ब का आशियाना
बया मुझको भी सिखा दे
अपने जैसा घर बनाना
चोंच से तिनकों को चुनके
घोसला कैसे बनाये
आँधियाँ तूफान आये
शाख़ से ये टूट ना पाये
वो सलीका वो तरीका
वो हुनर मुझको बताना
बया मुझको भी सिखा दे
अपने जैसा घर बनाना
ईंट रोड़ी पत्थरों से
मैंने भी इक घर बनाया
भाई को डाक्टर बनाया,
ख़ुद को इक हलधर बनाया
एक हवा पश्चिम से आई
ख़ाब सारे धाराशायी
जल गये जज़्बात सारे
कट गये कंधे सहारे
भरभराकर रेत जैसा
बिखरा मेरा ताना बाना
बया मुझको भी सिखा दे
अपने जैसा घर बनाना
प्रेम सागर सिंह
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