गली में फैले कागज़ों को समेटता बंटी बड़ा खुश हो रहा था और जल्दी-जल्दी सभी कागजों को समेट रहा था ताकि कोई उन पर पैर रख गन्दा न कर दे
हाथ भर कर घर लौटा तो माँ देखते ही बोली- जे का बीन लायो, तोहे काम करन भेजो की मस्ती मारबे….काउ काम को नाए खाबे को पसार देगो थाली …… ला दे जलाबन कू हो जांगे …
बंटी घबरा गया ‘’ न माई जलाने को न है जे मैं तो जिन्हें लिखने के वास्ते बटोर लायो…..
बो प्रधान को छोरो है न बाने अपनी कॉपी ते निकाल निकाल सब उड़ा दये मैं बटोर लायो लिखंगों अब जिनपे ….. तू न जला इन्हें तू देखियो माई ....मैं पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बनंगो ……
‘’अरे जा तू और तेरी बड्बोली जबान ला इधर …. हम जैसे गरीबन की किस्मत में जे सब न होत…. रोनो लिखो है बस रोनो…… जा अपने बापे लिया ठेका पे ते पड़ो होगो पी के निकम्मा कहीं को
बंटी मुंह लटका कर पैर पिटता बाहर निकल गया और सारे कागज़ चूल्हें में सिमट गये.....
प्रियंका सिंह
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