Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नया-पुराना

 

पलकों के हलचल में
वक्त बीत जाता है
वक्त के साथ सबकुछ बदल जाता है
जो कल नया था आज पुराना
पुराने को क्यों भूले जमाना।
चाहत की इस दुनिया में
मंज़िले अलग, रास्ते अलग
फिर भी जागे कई उमंग।
चाहतें, उमंगे, मंजिलें हो एक या अनेक
बजते रहे सूर सबका एक।
नये के मेहफ़िल में इतना खो न जाना
बीते मेहक को मिटा न देना।
हर कलि को है खिलने का इंतजार
नये किरणों से मिलने को बेकरार
इसके परिमल से मेहके सारा संसार।

 

 

प्रो.संगमेश ब.नानन्नवर

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