| Feb 29, 2020, 4:48 PM (22 hours ago) |
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प्रेम पूर्वक खेलो होली सारे हिंदुस्तान में ।
गले मिलो हंस-हंसकर बंधु क्या रखा है शान में ।
प्रेम पूर्वक खेलो होली सारे हिंदुस्तान में सारे हिंदुस्तान में।
मुस्लिम बरसा में गुलाल और हिंदू रंग बरसा में, सिक्ख बने होली के रसिया ईसाई ढोल बजावैं।
प्रेम रंग से तन को रंग लो तन को रंग लो मन को रंग लो क्या रखा है खींचातान में।
प्रेम पूर्वक खेलो होली सारे हिंदुस्तान में...
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे या ऊंचे बने शिवाला , भावना भर दे देशभक्ति की गुथे प्रेम की माला।
संतो की पावन वाणी ने यह निष्कर्ष निकाला खुदा कहो या राम कहो या वाहेगुरु निराला।
भेदभाव को दूर करो सबके मन की पीर हरो क्या रखा है अभिमान में,
प्रेम पूर्वक खेलो होली सारे हिंदुस्तान में सारे हिंदुस्तान में।
आदरणीय संपादक महोदय, कृपया मेरे इस गीत को राष्ट्रीय पर्व होली के अवसर पर अपनी पत्रिका में सादर स्थान देने का कष्ट करें।
रचनाकार-
पूरन चंद निराला
बेसबां, अलीगढ़।
उत्तर प्रदेश
9582300383
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