Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

आईने से अपनी ये तस्वीर ले जा

 

आईने से अपनी ये तस्वीर ले जा
जाने वाले मेरी ये तक़दीर ले जा

 

आह,अश्क,जां,दिल,उल्फत,इश्क़ सब है
ले सको अगर तो हर तासीर ले जा

 

सुरमयी निशानों का अब वार ना कर
यार मेरे अपनी ये शमशीर ले जा

 

खिड़कियाँ ये ख्वाबों के बस बंद कर दे
जीने के मिरे सारे तदबीर ले जा

 

दिल के कुछ सिसकते हैं 'प्रतीक' टुकड़े
आखिरी ये उल्फत कि जागीर ले जा

 

 

Purushottam Pratik Bawra

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ