आईने से अपनी ये तस्वीर ले जा
जाने वाले मेरी ये तक़दीर ले जा
आह,अश्क,जां,दिल,उल्फत,इश्क़ सब है
ले सको अगर तो हर तासीर ले जा
सुरमयी निशानों का अब वार ना कर
यार मेरे अपनी ये शमशीर ले जा
खिड़कियाँ ये ख्वाबों के बस बंद कर दे
जीने के मिरे सारे तदबीर ले जा
दिल के कुछ सिसकते हैं 'प्रतीक' टुकड़े
आखिरी ये उल्फत कि जागीर ले जा
Purushottam Pratik Bawra
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