दिन बरसात के आने लगे हैं
मेंढक भी टर्राने लगे हैं
नौसिखिये शायर खूब आजकल
बहर-बहर चिल्लाने लगे हैं
वोट के भूखे लोग सियासी
लाशों पे रोटियां पकाने लगे हैं
साजिशों कि इन्तहां हो गयी
मुर्दे सब राज़ बताने लगे हैं
तिलचट्टे देख उछलने वाले
हाथ साँप पर आज़माने लगे हैं
एक बुड्ढे की शादी है यारों
चर्चा है वो सठियाने लगे हैं
वो इश्क़ नहीं हादसा था कोई
नामे-इश्क़ से हम घबराने लगे हैं
सरे-आम सच न बोल 'प्रतीक’
सच वाले सब ठिकाने लगे हैं
BY:- PURUSHOTTAM PRATIK 'BAWRA'.....
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