मिलती है तिरी सूरत भी मिरे प्यार की तरह
बिलकुल है वही शोखी परीज़ार की तरह
मुखड़े पे तिरे भी काश! एक तिल अगर होता
तू भी ऐ चाँद लगता मिरे यार की तरह
छुप के बादलों में खूब नखरे दिखाते हो
बचकाना बड़ा है तू मिरे प्यार की तरह
सागर में समाकर हो सताते बहुत उसे
प्यासा है पड़ा उल्फत के बीमार की तरह
आना तो कभी छत पे पहन कर इन्द्रधनुष
चुभ जाना मिरे दिल में तलवार की तरह
परीज़ार=>परियों जैसे कपोलों वाली
Purushottam Pratik Bawra
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