Swargvibha
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समय

 

 

(पुष्प राज चसवाल)

 

 

कांपती दीवार पर
रेंगते नीले पीले साये
आशा खड़ी मलिन-सी
काला आँचल लहराये,
कुंठित भावना से भयभीत
हो रहा वर्तमान व्यतीत
पल-पल गलते
उहापोह की दलदल में
मैं, तुम और --- वह
चलते-चलते अनजाने में
यूं ही रहे बीत।

 

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