Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

थकान से मुक्ति

 

 

(पुष्प राज चसवाल)

 

 

आओ
हम और तुम
थकान से उभरें
अंतिम थकान से।
आओ
हम और तुम
नए अध्याय को
जन्म दें
यह जो हमारी आँखें
एकटक देख रही हैं
बरसों से -
कुछ पा नहीं सकी हैं
हाँ! यक़ीनन
सपने धुंधला गए हैं
और नीला आसमान
अपना विशाल
असीम अस्तित्व
लगता है भूल कर
जैसे कहीं सिमट गया है
छोटे से गृह पृथ्वी के
आँगन में।
आओ
हम और तुम
इस घेरे से बाहर निकल
विशाल वजूद
लौटा लाएं
अपना।

 

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ