Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं तो एक दरिया हूँ

 

 

" मैं तो एक दरिया हूँ ,
चाहे बेरूख़ी से सुखा दो या प्यार में ही डुबा दो !
मैं तो एक आँसू हूँ ,
चाहे पलकों पे सजा लो या खुशी से गिरा दो !
मैं तो एक तस्वीर हूँ,
चाहे शोलों से जला दो या सीने से लगा लो !
मैं तो एक दुआ हूँ ,
चाहे सजदे में माँग लो सीने में दफ़ना दो !
मैं तो एक वजह हूँ ,
चाहे वफ़ा से दिखा दो या बेवफ़ाई में जता दो !
मैं तो एक लहर हूँ ,
चाहे साहिल से मिला दो या दूरियाँ बना दो !
मैं तो राही हूँ उस राह का ,
चाहे जीवनसाथी बना लो या इन्ही राहों में गुमा दो !
मैं तो एक मंज़र हूँ प्यार का ,
चाहे पल में गँवा दो या जिंदगी भर सजा लो !
मैं तो मौसम हूँ बहार का ,
चाहे मस्ती से झूम लो या गमों से चूम लो !
मैं एहसास हूँ उस धड़कन का ,
चाहे आँखों से बयां कर दो या होंठों में ही छिपा लो !"

 

 

 

पुष्पेंद्र सिंह कुशवाह ' युवराज '

 

 

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