Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आ गया है अब हमें भी मुस्कुराना दोस्तों

 

आ गया है अब हमें भी मुस्कुराना दोस्तों
अब उदासी का नहीं कोई बहाना दोस्तों ||

 

 

काट दोगे तुम हमारे पंख तो भी फर्क क्या,
हम परिंदे आसमां अपना ठिकाना दोस्तों ||

 

 

सोच कर यह बात तेरी बज़्म से हम उठ गए,
चार दिन का था यहाँ पर आबो दाना दोस्तों||

 

 

दोस्तों ने तोड़ डाला दोस्ती का जब भरम,
हाथ गैरों से यहाँ अब क्या मिलाना दोस्तों ||

 

 

लोग कहते है की वो तो प्यार मे मारा गया,
मौत को तो चाहिए था एक बहाना दोस्तों ||

 

 

सामने है आपके जो हाल है अपना यहाँ,
जानते है आप सबकुछ क्या छिपाना दोस्तों ||

 

 

ज़िंदगी लाई हमें फिर आज तेरे द्वार तक
कल कहाँ ले जाएगी ये क्या ठिकाना दोस्तों ||

 

 

झूंठ तो कहता नहीं ये “आरसी” सच है मगर
आजमालो चाहते गर आजमाना दोस्तों |

 

 

---आर० सी ० शर्मा "आरसी "

 

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