अब ये मौसम बरगलाने लग गए,
रेत में पंछी नहाने लग गए
गुम्बदों में रहते रहते ऊबकर,
अब कबूतर घर बनाने लग गए |
एक मुद्दत से जो दिल में दफ्न थे,
वो ही अरमाँ सर उठाने लग गए |
जो बुलंदी पर पहुँच गिरगिट हुए,
सब ज़मीं पर हैं ठिकाने लग गए |
शेर जाकर गीदड़ों की मांद में,
सर झुकाकर दुम हिलाने लग गए |
लोग अब कहने लगे हैं "आरसी" भी,
महफिलों में रंग जमाने लग गए |
-आर० सी० शर्मा “आरसी”
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