Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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और क्या इम्तिहान बाकी है

 

 

और क्या इम्तिहान बाकी है,
सर पे बस आसमान बाकी है |

 

रूह तो मर गई बहुत पहले,
जिस्म में फिर भी जान बाकी है |

 

ज़ख्म भरने के बाद सूख गया,
पर वहाँ इक निशान बाकी है |

 

हँसती औ मुस्कुराती बस्ती में,
भुतहा इक मकान बाकी है |

 

बाद मरने के खुली पलकों को,
कहीं कुछ इत्मिनान बाकी है |

 

लब सिले और जुबां कैद हुई,
दिल में फिर भी उफ़ान बाकी है |

 

"आरसी" अनकही अभी मेरी,
कहने को दास्तान बाकी है |

 

 

--आर० सी ० शर्मा “आरसी ”

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